पृष्ठभूमि
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) का गठन भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम 1964 के तहत एक वित्तीय संस्था के रूप में हुआ था और यह भारत सरकार द्वारा जारी 22 जून 1964 की अधिसूचना के द्वारा 01 जुलाई 1964 से अस्तित्व में आया. इसे कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 4 ए के प्रावधानों के अंतर्गत एक सार्वजनिक वित्तीय संस्था का दर्ज़ा प्राप्त हुआ. सन् 2004 तक यानी, 40 वर्षों तक इसने वित्तीय संस्था के रूप में कार्य किया और 2004 में इसका रूपांतरण एक बैंक के रूप में हो गया.
इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड
आवश्यकता महसूस होने और वाणिज्यिक विवेक के आधार पर आडीबीआई को बैंक के रूप में रूपांतरित करने का निर्णय लिया गया. इसके लिये भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम,1964 को निरस्त करते हुए इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (उपक्रम का अंतरण व निरसन) अधिनियम,2003 (निरसन अधिनियम) पारित किया गया. निरसन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, कंपनी अधिनियम के अधीन 27 सितंबर 2004 को इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड (आईडीबीआई लि.) के नाम से एक नई कंपनी सरकारी बैंकिंग कंपनी के रूप में निगमित हुई. तत्पश्चात प्रभावी तारीख 01 अक्तूबर 2004 से आईडीबीआई का उपक्रम आईडीबीआई लि. में अंतरित व निहित कर दिया गया. निरसन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, आईडीबीआई लि. वित्तीय संस्था की अपने पूर्ववर्ती भूमिका के अतिरिक्त बैंक के रूप में कार्य कर रहा है.
आईडीबीआई बैंक लि. का आईडीबीआई लि. में विलय
बैंक की इनऑर्गेनिक वृद्धि के लक्ष्य को पाने के प्रयासों में और तेजी लाने के उद्देश्य से बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 44ए के प्रावधानों के तहत, जिसमें दो बैंकिंग कंपनियों के स्वैच्छिक समामेलन का प्रावधान है, आईडीबीआई लि. की पूर्ण स्वामित्व वाली संस्था आईडीबीआई बैंक लि. का आईडीबीआई लि. में समामेलन कर लिया गया. यह विलय 02 अप्रैल 2005 से प्रभावी हो गया.
यूनायटेड वेस्टर्न बैंक लि. का आईडीबीआई लि. में विलय
सातारा में केंद्रित निजी क्षेत्र के बैंक - दि यूनायटेड वेस्टर्न बैंक लि. (यूडब्ल्यूबी) को भारतीय रिज़र्व बैंक ने अधिस्थगन के अंतर्गत रखा था. अपनी इनऑर्गेनिक वृद्धि में और तेजी लाने के मकसद से आईडीबीआई लि. द्वारा उक्त बैंक का अधिग्रहण करने की इच्छा प्रकट किये जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार ने यूडब्ल्यूबी को बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के प्रावधानों के तहत आईडीबीआई लि. में समामेलित कर दिया. यह विलय 03 अक्तूबर 2006 से प्रभावी हुआ.
आईडीबीआई लि. का नाम आईडीबीआई बैंक लि. में परिवर्तित
इस उद्देश्य से कि बैंक के नाम से इसके द्वारा किये जा रहे व्यापक कार्य स्पष्ट रूप से झलके, बैंक का नाम बदल कर आईडीबीआई बैंक लिमिटेड कर दिया गया. यह नया नाम कंपनी रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र द्वारा निगमन प्रमाणपत्र के जारी किये जाने के साथ ही 07 मई 2008 से प्रभावी हो गया है. तदनुसार, बैंक अब आईडीबीआई बैंक लिमिटेड के मौजूदा नाम के साथ कार्य कर रहा है.
आईडीबीआई होम फाइनेंस लि. और आईडीबीआई गिल्ट लि. का विलय
आईडीबीआई बैंक के पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक संस्थाओं आईडीबीआई होम फाइनेंस लि. और आईडीबीआई गिल्ट लि. को भारत सरकार के कारपोरेट कार्य मंत्रालय के दिनांक 08 अप्रैल 2011 के आदेश द्वारा कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 391-394 के अधीन आईडीबीआई बैंक में समामेलित कर दिया गया. समामेलन योजना के अंतर्गत नियत तारीख 01 जनवरी 2011 अनुमोदित की गई है. कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 394(3) के अनुसार भारत सरकार के उपर्युक्त आदेश को 26 अप्रैल 2011 को कंपनी रजिस्ट्रार के पास फ़ाइल किया गया है.
आईडीबीआई बैंक लि. का निजी क्षेत्र के बैंक के रूप में पुन: वर्गीकरण
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) 21 जनवरी 2019 को आईडीबीआई बैंक के 51% नियंत्रक हिस्से का अधिग्रहण पूर्ण कर लिया और यह बैक का मेजॉरिटी शेयर होल्डर बन गया. भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा 21 जनवरी 2019 को इक्विटी शेयर पूंजी बढ़ाने के परिणामस्वरूप, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 मार्च 2019 की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा यह स्पष्ट किया है कि आईडीबीआई बैंक लिमिटेड को 21 जनवरी 2019 से 'निजी क्षेत्र के बैंक' के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
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