पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) – आईडीबीआई बैंक पोर्टफोलियो निवेश योजना

पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 2000 की अनुसूची 3 में परिभाषित की गई है. इस योजना के अनुसार अनिवासी भारतीय मान्य स्टॉक एक्सचेंज से भारतीय कंपनियों के शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर खरीद/बेच सकते हैं,
वे ऐसी खरीद/बिक्री के सारे लेनदेन आईडीबीआई बैंक की नामित शाखा के अपने खाते के जरिए कर सकते हैं. (29/11/2001 से रिज़र्व बैंक ने ओसीबी को नयी खरीद करने से प्रतिबंधित कर दिया है. तथापि वे अपनी वर्तमान धारिता बनाएं रख सकते हैं या उसे बेच सकते हैं) .

रिज़र्व बैंक ने पोर्टफोलियो निवेश योजना के अंतर्गत अनिवासी भारतीयों की तरफ से कारोबार करने के लिए प्रत्येक प्राधिकृत डीलर की कुछ शाखाओं को प्राधिकृत किया है. उन्हें ऐसी नामित प्राधिकृत डीलर शाखाओं, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राधिकरण प्राप्त है, में से किसी भी शाखा के जरिए ही अपने आवेदन देने होंगे.

बिक्री आय के प्रत्यावर्तन की अनुमति तभी दी जा सकती है यदि मूल खरीद प्रत्यावर्तन आधार पर की गई हो और निवेश का स्रोत एनआरई/एफसीएनआर खाता या विदेश से प्रेषण रहा हो. यदि मूल खरीद एनआरओ खाते से की गई हो तब बिक्री आय को प्रत्यावर्तित नहीं की जा सकेगी.

हां. निवेश प्रत्यावर्तन और गैर प्रत्यावर्तन दोनों आधार पर किये जा सकते हैं, तथापि निवेशक को नामित बैंक के पास एनआरई और एनआरओ खाता खोलना होगा. गैर प्रत्यावर्तनीय निवेश की बिक्री आय केवल एनआरओ खाते में ही जमा की जा सकती है.

हाल के रिज़र्व बैंक दिशानिर्देशों के अनुसार अनिवासी भारतीय को पोर्टफोलियो निवेश योजना के लिए अलग से एक खाता खोलना होगा. उनके वैयक्तिक बैंकिंग से जुड़े लेनदेन और पीआईएस के अलावा आईपीओ सहित अन्य तरीके से अर्जित शेयरों से संबंधित लेनदेन एक अलग बैंक खाते के जरिए हो करने होंगे जो पोर्टफोलियो निवेश योजना से न जुड़े हो. खाता ‘संयुक्त’ प्रकार का हो सकता है.

हाँ. नामित बैंक निर्धारित फॉर्म प्राप्त होने पर अनुमोदन पत्र जारी करेगी.

भारत में प्राधिकृत डीलर की नामित शाखा को निर्धारित फॉर्म में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा. इसके लिए रिज़र्व बैंक से अनुमति की जरूरत नहीं है. प्राधिकृत डीलर पांच वर्ष को अवधि के लिए सामान्य अनुमति जारी करता है जो नामित बैंक एक बार में पांच वर्ष की अवधि के लिए आगे नवीकृत कर सकता है.

अनिवासी भारतीय पोर्टफोलियो निवेश योजना के अंतर्गत लेनदेन करने के प्रयोजन हेतु केवल एक बैंक की नामित शाखा में आवेदन कर सकता है.

नहीं, अनिवासी भारतीय पोर्टफोलियो निवेश योजना के अन्तर्गत निवेश के प्रयोजन के लिए केवल एक प्राधिकृत डीलर शाखा का चयन कर सकता है.

हाँ, जारीकर्ता कंपनी भारत सरकार/रिज़र्व बैंक की विशिष्ट सामान्य अनुमति के आधार पर एनआरआई को शेयर जारी कर सकती है. अतः एनआरआई को खुद अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

आईपीओ के अंतर्गत अर्जित शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचरों के लिए नामित बैंक की आवश्यकता नहीं हैं, क्योंकि ये पोर्टफोलियो निवेश योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं. ऐसे लेनदेन यदि नामित बैंक के जरिए किये जाते हैं तो इन्हें अलग बैंक खाते में किया जाना चाहिए जो पीआईएस से जुड़ा न हो.

नहीं, अनिवासी भारतीय प्राथमिक बाजार से प्रत्यावर्तित आधार पर शेयर खरीद सकते हैं और आवेदन राशि नियमित एनआरई बचत खाते या इन्वर्ड प्रेषण के जरिए अदा की जा सकती है.

नहीं,अनिवासी भारतीय प्राथमिक बाजार से गैर प्रत्यावर्तित आधार पर शेयर खरीद सकते हैं और आवेदन राशि नियमित एनआरई/एनआरओ बचत खाते या इन्वर्ड प्रेषण के जरिए अदा की जा सकती है.

हाँ, अनिवासी भारतीय कंपनी की चुकता पूंजी का अधिकतम पांच प्रतिशत और डिबेंचरों की प्रत्येक श्रृंखला के चुकता मूल्य का अधिकतम पांच प्रतिशत तक ही खरीद सकता है. इस अधिकतम सीमा के प्रयोजन के लिए प्रत्यावर्तनीय और गैर प्रत्यावर्तनीय निवेश जोड़े जाएंगे. उक्त के अलावा, अनिवासी भारतीय किसी विशेष कंपनी के संबंध में अनुमति होने पर ऐसी धारिता का अधिकतम 10% अथवा उससे अधिक प्रतिशत तक सामूहिक रूप से धारित कर सकते है. प्राइमरी बाजार से अर्जित शेयरों / डिबेंचरों को उक्त सीमाओं के प्रयोजन के लिए छोड़ किया गया है.

आदेश नामित बैंक के जरिए देना जरूरी नहीं है. तथापि लेनदेन की रिपोर्टिंग मूल कांट्रेक्ट नोट के साथ लेनदेन के दिन ही नामित बैंक को की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे व्यापार के निपटान में निधियों का भुगतान और प्राप्ति नामित बैंक के खाते के जरिए ही की जाए.

हाँ, अनिवासी भारतीय के लिए सभी सेकंडरी बाजार के लेनदेन अपने पीआईएस नामित खाते के माध्यम से करना अनिवार्य है अर्थात सेकंडरी बाजार के शेयरों की सभी खरीद/बिक्री के लिए पीआईएस नामित खाता ही नामे/जमा किया जाना चाहिए.

नहीं, अनिवासी भारतीय खरीदे गए शेयरों/ परिवर्तनीय डिबेंचरों की सुपुर्दगी लिये बिना उन्हें बेच नहीं सकता. पीआईएस के अंतर्गत मंदड़िया बिक्री की अनुमति नहीं है.

अनिवासी भारतीय को किसी भारतीय कंपनी के गए शेयरों और /या डिबेंचरों की खरीद/ बिक्री के संबंध में रिज़र्व बैंक के पास कोई विवरणी या रिपोर्ट दर्ज करने की जरूरत नहीं है. केवल नामित बैंक शाखा के लिंक कार्यालय को पोर्टफोलियो निवेश योजना के लेनदेनों पर दैनिक आधार पर रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी पड़ती है.

नहीं, अनिवासी भारतीय को प्रत्यावर्तनीय और गैर प्रत्यावर्तनीय प्रतिभूतियों की धारिता के लिए अलग-अलग डिमैट खाते खोलने होंगे.

बिक्री आय, लागू कर की कटौती के बाद जमा की जा सकती है.

भारतीय कर कानून के अनुसार बिक्री लेनदेनों से मिलनेवाले सभी पूंजीगत लाभों पर कर लगता है. अनिवासी भारतीयों के बारे में बिक्री लेनदेनों से होनेवाले सभी पूंजीगत लाभ संबंधित बैंक शाखा द्वारा उनके एनआरई/एनआरओ खाते में बिक्री आय जमा करते समय स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) के अधीन है. तदनुसार संबंधित बैंक कर देयता निर्धारित करेगी और स्रोत पर कर की कटौती की जाएगी. संबंधित बैंक जिसने स्रोत पर कर की कटौती की है, इस संबंध में प्रमाणपत्र जारी करेगी.

फेमा की धारा 6(5) के अनुसार अनिवासी भारतीय अपनी प्रतिभूतियां जो उसने निवासी भारतीय के रूप में खरीदी हैं, अनिवासी भारतीय बनने के बाद भी गैर प्रत्यावर्तित आधार पर उनकी धारिता जारी रख सकता है.

हाँ. एक अनिवासी भारतीय की यह ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी हैसियत में हुए इस परिवर्तन की सूचना नामित प्राधिकृत डीलर शाखा को दे, जिसके जरिए निवेशक ने पोर्टफोलियो निवेश योजना में निवेश किये हैं और डिपॉजिटरी पॉटिसिपेंट (डीपी) को जिसके पास उसने डिमैट खाता खोला है. कालानंतर में उनकी निवासी हैसियत से एक नया डिमैट खाता खोलना होगा और एनआरआई डिमैट खाते की प्रतिभूतियों को निवासी खाते में अंतरित करने के बाद एनआरआई डिमैट खाता बंद करना होगा.

हाँ, एनआरआई उत्तराधिकार में शेयर पा सकते हैं. इसके लिए रिजर्व बैंक की अनुमति नहीं चाहिए शेयर गैर प्रत्यावर्तनीय आधार पर धारित किये जाएंगे.

प्राथमिक/गौण बाजार में निवासी भारतीय के रूप में खरीदे गए शेयर उनके अनिवासी भारतीय बन जाने पर गैर प्रत्यावर्तित आधार पर धारित किए जाएंगे. ये शेयरे एनआरओ डिमैट खाते में जमा किये जा सकते हैं. ये शेयर पोर्टफोलियो निवेश योजना की अनुमति के बगैर गौण बाजार में बेचे जा सकते हैं. पूंजीगत लाभ कर की अदायगी के बाद इनकी बिक्री आय एनआरओ बचत खाते में जमा की जा सकती है.